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Poshan Mah

रोहतास पत्रिका/सासाराम: बाल कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए आईसीडीएस द्वारा कई स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। जिसमें आंगनवाड़ी केंद्रों पर नियमित रूप से बच्चों की वृद्धि निगरानी एक महत्वपूर्ण सेवा है। इस संबंध में मंगलवार को वर्चुअल माध्यम से आईसीडीएस के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्येवेक्षिका एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का उन्मुखीकरण किया गया।

फ़रवरी माह से शुरू होगी वृद्धि निगरानी

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, आईसीडीएस के निदेशक कौशल किशोर ने कहा कि प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में शून्य से छह साल तक के बच्चों की वृद्धि निगरानी की जाएगी। इसे फ़रवरी माह से शुरू किया जाएगा, जिसे वजन सप्ताह या वृद्धि निगरानी सप्ताह के रूप में मनाया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की वृद्धि की बेहतर निगरानी करने की है। योजना के छह मुख्य घटकों में वृद्धि निगरानी एक महतवपूर्ण घटक है।

बच्चों के लिए 6 साल तक का समय महतवपूर्ण होता है। विशेषकर दो साल तक के बच्चों की निगरानी अधिक जरुरी हो जाती है। वहीं, बच्चों की वृद्धि निगरानी के जरिए कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की पहचान होगी एवं उन्हें बेहतर रेफरल सेवाएं प्रदान की जा सकेगी। वृद्धि निगरानी सप्ताह मानाने का उद्देश्य यह भी है कि बच्चों के अभिभावकों को ससमय सुधार हेतु सही परामर्श दिया जा सके।

कुपोषण है एक बड़ी समस्या

इस दौरान समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीना ने बताया कि राज्य में कुपोषण एक बड़ी समस्या है। इस लिहाज से इसपर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इससे निज़ात पाने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश भी दिया गया है, जिसमें विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से सरलता से जानकारी दी गयी है। दिशा निर्देश में अलग से निगरानी फॉर्मेट भी दिया गया है जिसे समुदाय भ्रमण के दौरान भरना भी जरुरी है। राज्य के बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के संकल्प को मजबूत करने में वृद्धि निगरानी काफ़ी कारगर साबित होगा।

वृद्धि निगरानी कुपोषण से निज़ात दिलाने में सहायक

यूनिसेफ की पोषण पदाधिकारी शिवानी डार ने बताया कि आंगनबाड़ी सेवाओं में वृद्धि निगरानी एक प्रमुख सेवा है। बच्चों के शारीरिक वृद्धि से मानसिक विकास भी संबंधित है। प्रत्येक माह वृद्धि निगरानी करने से हम सही समय पर वृद्धि अवरोधों को जान सकते हैं। इससे सही समय पर इसका निदान भी किया जा सकता है।उम्र के हिसाब से बच्चों के वजन, लंबाई एवं ऊँचाई में वृद्धि होती है. इसलिए नियमित अन्तराल पर बच्च्चों की वृद्धि की सही निगरानी करना जरुरी है।

छोटे बच्चों में शारीरिक वृद्धि बहुत तेजी से होती है। इसे ध्यान में रखते हुए 2 साल से कम उम्र के बच्चों की वृद्धि की शत-प्रतिशत निगरानी करनी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। गरीब समुदाय या सुदूर क्षेत्र में रहने वाले बच्चों में कुपोषण की संभावना अधिक होती है। इसलिए ऐसे बच्चों को लक्षित करना भी जरुरी है।

कार्यक्रम में पोषण अभियान के राज्य नोडल पदाधिकारी रिफ़त अंसारी, पोषण सलाहकार मनोज कुमार, डॉ. संदीप घोष एवं संतोष गुप्ता उपस्थित रहे। वहीं, जिले की डीपीओ रश्मि रंजन, सभी परियोजनाओं की सीडीपीओ, प्रखंड समन्वयक व अन्य कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े रहे।

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tv patient in Rohtas
  • जिले में 1490 टीबी से पीड़ित मरीज इलाजरत

रोहतास पत्रिका/सासाराम: देश से 2025 तक टीबी को जड़ से मिटाने के लिए सरकार लगातार अभियान चला रही है। रोहतास जिला स्वास्थ्य समिति भी टीबी उन्मूलन अभियान में अहम भूमिका निभाने में प्रयासरत है। जिले में टीबी मरीजों को खोजने के साथ साथ उनकी कॉउंसिलिंग कर उनका उचित इलाज किया जा रहा है। ताकि जिले से टीबी बीमारी को खत्म कर के देशव्यापी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी जा सके। जिले में प्रति महीने 500 से अधिक टीबी के लक्षण वाले लोगों की तलाश की जा रही और उनकी जांच की जा रही है।

जिला यक्ष्मा केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार पिछले तीन महीनों में जिले के विभिन्न प्रखण्डों में 1747 टीबी के लक्षण वाले मरीज पाए गए। जांच के दौरान 147 लोगों में टीबी होने की पुष्टि हुई। जिसमें सितंबर में 567 लोगों की जांच में 49 लोग टीबी के मरीज पाए गए। वहीं अक्टूबर में 567 की जांच में 39 तथा नवंबर में 613 में से 55 टीबी बीमारी से ग्रसित पाए गए। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में अभी 1490 टीबी के मरीज के इलाजरत हैं ।

ठंढ के मौसम में लापरवाही घातक

सर्दियों के मौसम में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस मौसम में बीमारियों से ग्रसित लोगों को जान का भी खतरा हो सकता है। ऐसे में जरूरत है कि सर्दियों के मौसम में अधिक से अधिक सावधानी बरतें। इस मौसम में टीबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। टीबी बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए भी यह मौसम काफी कष्टदायक होता है।

खासकर टीबी मरीज जिन्हें दमा की शिकायत होती है यदि ऐसे मरीज ठंढ से बचाव नही करेंगे तो उनके लिए यह मौसम जानलेवा भी साबित हो सकती। जिला यक्ष्मा केंद्र के डॉ कन्हाई महतो ने बताया कि मौसम का मिजाज काफी तेजी से बदल रहा है। इसके साथ ही ठंड का प्रकोप भी देखा जा रहा है। ऐसे में टीबी कारीज़ों को अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। ऐसे मौसम में किसी प्रकार की लापरवाही भारी पड़ सकती है।

फेफड़ों में टीबी से पीड़ित के लिए ठंड घातक

डॉ. महतो ने बताया कि टीबी से ग्रसित मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो जाती है। ऐसे में ठंड से बचाव के साथ साथ उचित आहार लेना भी जरूरी है। ठंड के मौसम में फेफड़े में टीबी के मरीज के लिए काफी घातक होता है। यदि ठंड से बचने के लिए समुचित सावधानी नहीं बरती गई तो सर्द हवा एवं वायु में मिश्रित प्रदूषण के कण फेफड़ों में पहुँचकर टीबी बीमारी को और जटिल बना सकता है । उन्होंने बताया कि इस मौसम में अच्छी सेहत के लिए मौसमी फलों, हरी सब्जियों के साथ साथ भोजन में दालों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए।

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Sadar Hospital Sasaram

रोहतास पत्रिका/सासाराम: राज्य सरकार सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने को लेकर लगातार प्रयासरत है। लोगों को अधिक से अधिक स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए सरकारी अस्पतालों को सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। जांच सुविधओं की बात की जाए तो पैथोलॉजी से लेकर अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, एमआरआई सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं । हालांकि इन सुविधाओं के बीच विभागों के अनियमित संचालन की वजह से लोगों को कभी कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इधर जिला स्वास्थ्य समिति इन समस्याओं को दूर करने में लगा हुआ है।

  • सासाराम प्रखण्ड के मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सचिव संजीव मोहन ने कहा कि सरकारी अस्पताल में पहले से सुविधाएं बेहतर हो रही हैं लेकिन इन सुविधाओं को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में खासकर सदर अस्पताल में यदि प्रसव के दौरान गर्भवती महिला की स्थिति बिगड़ने लगती है तो उसे रेफर कर दिया जाता है। इसके अलावा सदर अस्पताल में बनाया गया ट्रामा सेंटर भी रेफरल अस्पताल की तरह कार्य कर रहा है। इमरजेंसी स्थिति में मरीज को वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। आवश्यकता है ऐसे मामलों का सरकारी अस्पतालों में ही बेहतर इलाज उपलब्ध हो ताकि गरीब लोगों को असुविधा ना हो। साथ ही साथ साफ सफाई पर और ध्यान देने की जरूरत है।
  • मरीज का इलाज कराने सदर अस्पताल पहुँचे शिवसागर प्रखण्ड के सोनहर गाँव निवासी अवध बिहार पांडे ने बताया कि कुछ वर्ष पहले सरकारी अस्पताल में ज्यादा व्यवस्था नहीं थी लेकिन अब पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था सुधारने के बावजूद भी कुछ जांच में विभाग द्वारा लापरवाही बरती जा रही है इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कुछ कमियों को दूर किया जाए जिससे लोगों को फायदा होगा।

एक छत के नीचे मिलेगी कई हाई टेक स्वास्थ्य सुविधा

डीपीसी संजीव मधुकर ने बताया कि बिहार के 8 जिलों के अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में चयनित किया गया है। जिसमें सदर अस्पताल भी शामिल है। उन्होंने बताया कि अस्पताल परिसर में 100 बेड का मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेंटर (एमसीएच) एवं 10 बेड का पेडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट का भी निर्माण करवाया जा रहा है। डीपीसी ने बताया कि सासाराम सदर अस्पताल में एक ही छत के नीचे कई सारी हाई टेक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का लगातार प्रयास जारी

रोहतास सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि सासाराम सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित किया जा रहा है। कई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए भवन निर्माण कार्य जारी है। उन्होंने बताया कि लगभग 56 करोड़ की लागत से कई भवनों का निर्माण किया जा रहा है। सिविल सर्जन ने बताया कि आने वाले समय में सरकारी अस्पताल में कई बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।

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Dengue
  • निजी जांच क्लिनिकों से भी मांगा जा रहा है आंकड़ा

रोहतास पत्रिका/सासाराम: बारिश का मौसम खत्म होते ही रोहतास जिले में डेंगू के मामले में धीरे-धीरे कमी आने लगी है। सितंबर -अक्टूबर के महीने में जहां रोहतास जिले में लगभग प्रतिदिन डेंगू के लक्षण वाले मरीज पाए जा रहे थे,वहीं पूर्व की अपेक्षा अब ऐसे मरीजों के मामले में भी कमी आई है। जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार रोहतास जिले में 25 अक्टूबर तक 15 डेंगू से पीड़ित मरीज की पुष्टि हुई थी।

बेहतर इलाज के बाद सभी मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं वर्तमान में जिले में एक भी डेंगू का मरीज नहीं है। हालांकि निजी जांच क्लिनिकों में जांच के दौरान डेंगू के लक्षण वाले मरीज मिल रहे लेकिन पहले की अपेक्षा काफी कम संख्या में ऐसे मरीज मिल रहे हैं। जिला स्वास्थ्य समिति के अनुसार सदर अस्पताल में हो रही जांच के दौरान पिछले 11 दिनों में एक भी डेंगू के लक्षण वाले मरीज नहीं मिले हैं। जिले में डेंगू के घटते प्रकोप से जिला स्वास्थ्य समिति ने भी थोड़ी राहत की सांस ली है। वहीं जिला स्वास्थ्य समिति डेंगू को लेकर अभी भी सतर्क है। सदर अस्पताल में डेंगू वार्ड को अभी भी चालू रखा गया है। ताकि विपरीत परिस्थितियों से निपटा जा सके।

सरकारी अस्पताल में डेंगू जांच जारी

जिला मलेरिया विभाग में कार्यरत जेपी गौतम ने बताया कि जिले में डेंगू को लेकर लगातार जांच की जा रही है। सरकारी अस्पतालों में फिलहाल नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं । उन्होंने बताया कि डेंगू को लेकर लगातार सतर्कता बरती जा रही। डेंगू का ज्यादा खतरा सितम्बर से अक्टूबर तक देखने को मिलता है। ठंड बढ़ते ही डेंगू के मच्छर धीरे धीरे कम होने लगते हैं, फिर भी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए घरों के साथ साथ आस पास के जगहों को साफ रखें। गंदा पानी न जमा होने दें। सरकारी अस्पतालों में जांच के दौरान डेंगू पॉजिटिव आने पर उक्त व्यक्ति का सैम्पल एलिसा जांच के लिए गया भेजा जा रहा है। एलिसा जांच में पॉजिटिव आने पर ही उसे कन्फर्म केस माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक आई जांच रिपोर्ट में 15 लोगों में डेंगू पाया गया था जो इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ्य स्वस्थ्य हैं।

डेंगू के लक्षण दिखने पर कराएं जांच

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि जिले में डेंगू के मामले में काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि डेंगू में आई कमी के बावजूद भी सभी सरकारी अस्पतालों को जांच करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं । साथ ही उन्होंने बताया कि जिले में कितने डेंगू के लक्षण वाले मरीज हैं , इसके लिए निजी जांच क्लिनिकों से भी आंकड़ा जमा किया जा रहा है। एसीएमओ ने लोगों से अपील की है कि तेज बुखार, आंखों में दर्द, अधिक थकान या कमजोरी महसूस हो तो डेंगू जांच करवा लें।

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Covid vaccination
  • पिछले 10 दिनों में 10,963 लोगों की कोरोना जांच, मिले 3 संक्रमित

रोहतास पत्रिका/सासाराम: जिले में कोरोना संक्रमण का प्रभाव लगभग धीरे-धीरे समाप्त हो चुका है। हालांकि 1-2 मरीज कभी कभार मिल भी जा रहे हैं, इसलिए जांच अभियान को जारी रखा गया है,। ताकि संक्रमण के प्रसार को फैलने न दिया जाए। इसको लेकर जिला स्वास्थ्य समिति लगातार लोगों से सावधानी बरतने के लिए भी अपील कर रही है। इधर त्यौहार को देखते हुए जिला स्वास्थ्य समिति ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जांच अभियान को जारी रखने के लिए निर्देश दिया है।

छठ पर्व को लेकर दीपावली के समय से ही अन्य राज्यों से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसे में जिले में कोरोना के साथ साथ बढ़ते डेंगू रोग के लिए भी जांच अभियान लगातार चलाया जा रहा है। कोरोना जांच किट से लेकर डेंगू जांच किट की उपलब्धता सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रचुर मात्रा में करा दी गई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश भी दिए गए हैं कि बुखार, सर्दी खासी, बदन दर्द से पीड़ित व्यक्ति इलाज के लिए आते हैं तो उनकी कोरोना जांच के साथ साथ डेंगू जांच भी करायी जाए।

पिछले 10 दिनों में जिले में मिले 3 कोरोना पॉज़िटिव

कोरोना संक्रमण की बात करें तो रोहतास जिले में पिछले 10 दिनों के भीतर जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 10,963 लोगों का कोरोना जांच हुई,। इस दौरान महज 3 संक्रमित मरीज पाए गए । जिसमें 12 अक्टूबर को 0, 13 अक्टूबर को 0, 14 अक्टूबर को 0, 15 अक्टूबर को 0, 16 अक्टूबर को 1, 17 अक्टूबर को 0, 18 अक्टूबर को 1, 19 अक्टूबर को 0, 20 अक्टूबर को 1 एवं 21 अक्टूबर को 0 संक्रमित व्यक्ति पाए गए। जिला स्वास्थ्य समिति से मिली जानकारी के अनुसार अभी जिले में कोरोना संक्रमित एक्टिव मरीजों की संख्या महज 3 है । जिन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया गया है।

टीकाकरण अभियान में तेजी

कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर जारी टीकाकरण अभियान को भी लगातार जारी रखा गया है। तयौहारों को देखते हुए टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाई गई है, ताकि अन्य राज्यों से लौट रहे लोगों को वंचित डोज से टीकाकृत किया जा सके। रोहतास जिले में अब तक 43 लाख से अधिक लोगों को टीकाकृत किया जा चुका है। जिसमें प्रथम डोज का टीका लेने वालों की संख्या 20 लाख 46 हजार से अधिक है। वहीं दूसरी डोज लेने वालों की संख्या 18 लाख 40 हजार तथा प्रीकॉशन डोज लेने वालों की संख्या 4 लाख 20 हज़ार से अधिक है।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

रोहतास के सिविल सर्जन डॉ केएन तिवारी ने बताया कि रोहतास जिला संक्रमण के मामले काफी हद तक बेहतर स्थिति में है। त्यौहार को देखते हुए संक्रमण के साथ-साथ डेंगू बीमारी पर भी नजर रखी जा रही है। लोगों की जांच की जा रही है। वहीं जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आर के पी साहू ने बताया कि जिले में प्रथम एवं दूसरे डोज लेने वालों की संख्या काफी बेहतर है। प्रीकॉशन डोज को लेकर लोगों में थोड़ी सुस्ती देखी जा रही है। डॉ साहू ने बताया कि प्रीकॉशन डोज से वंचित लोगों को टीकाकृत करने के लिए लगातार प्रयास जारी है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर टीकाकरण किया जा रहा है।

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